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राष्ट्रीय अध्यक्ष हिंदू सेना

संत युवराज जी

संत युवराज जी, हिंदू सेना के एक दृढ़ और समर्पित नेता हैं, जो सनातन धर्म और हमारी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए समर्पित हैं। अपने नेतृत्व में, उन्होंने हिंदू समाज के धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को सशक्त बनाने के लिए अनगिनत प्रयास किए हैं।

युवावस्था से ही संत युवराज जी ने धर्म के प्रति अपनी निष्ठा और समाज के कल्याण के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया। वे अपने ओजस्वी भाषणों और संगठित आंदोलनों के माध्यम से लाखों लोगों को जागरूक और प्रेरित करते हैं।

संत युवराज जी का मानना है कि सनातन धर्म न केवल एक आस्था है, बल्कि यह जीवन जीने की एक पद्धति है, जो मानवता के कल्याण और विश्व शांति का मार्ग दिखाती है। उन्होंने हमेशा धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिंदू धर्म के अपमान का कड़ा विरोध किया है और समाज में समानता और न्याय की स्थापना के लिए संघर्षरत रहे हैं।

उनका जीवन और कार्य हमें यह सिखाते हैं कि धर्म के प्रति समर्पण और एकजुटता के साथ हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। संत युवराज जी की दूरदृष्टि और नेतृत्व ने हिंदू सेना को एक मजबूत और प्रभावशाली संगठन बनाया है।

संत युवराज जी, जिन्हें श्रद्धापूर्वक “तलवार वाले बाबा” के नाम से जाना जाता है, हिंदू धर्म के सिद्धांतों की रक्षा और प्रचार के लिए एक प्रतिष्ठित नाम हैं। तलवार वाले बाबा के रूप में उनकी पहचान उनकी साहसिकता, दृढ़ निश्चय और धर्म के प्रति अडिग निष्ठा का प्रतीक है।

उनका जीवन और कार्य हमें यह सिखाते हैं कि धर्म के प्रति समर्पण और एकजुटता के साथ हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। संत युवराज जी की दूरदृष्टि और नेतृत्व ने हिंदू सेना को एक मजबूत और प्रभावशाली संगठन बनाया है।

यह नाम संत युवराज जी को उनके निडर व्यक्तित्व और धर्म के लिए लड़ी गई बहादुरी की कहानियों के कारण दिया गया है। तलवार उनके नेतृत्व का प्रतीक है, जो अधर्म और अन्याय के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक है। यह नाम उन सभी के लिए प्रेरणा है जो धर्म और सत्य के मार्ग पर चलते हैं।

संत युवराज जी का मानना है कि तलवार केवल एक हथियार नहीं, बल्कि धर्म के प्रति जागरूकता, साहस और समाज में सत्य और न्याय के लिए खड़े होने का प्रतीक है। उनका जीवन हर व्यक्ति को सिखाता है कि धर्म की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

संत युवराज जी, जिन्हें “तलवार वाले बाबा” के नाम से जाना जाता है, हिंदू सेना के प्रमुख नेता और सनातन धर्म के दृढ़ रक्षक हैं। अपने साहसिक और प्रभावशाली व्यक्तित्व के कारण वे हिंदू समाज में विशेष सम्मान और प्रेरणा का स्रोत हैं। हिंदू सेना के माध्यम से संत युवराज जी धर्म की रक्षा और भारतीय संस्कृति के उत्थान के लिए निरंतर कार्यरत हैं।

सामाजिक कार्य

संत युवराज जी द्वारा तलवार वितरण - धार्मिक जागरूकता और पूजा का प्रतीक

संत युवराज जी, जिन्हें “तलवार वाले बाबा” के नाम से जाना जाता है, न केवल धर्म की रक्षा के लिए समर्पित हैं, बल्कि धार्मिक मूल्यों को सशक्त बनाने के लिए विशेष पहल भी करते हैं। इसी कड़ी में, वे तलवार वितरण कार्यक्रम आयोजित करते हैं, जो सनातन धर्म की परंपराओं और उसके गहन महत्व को समझाने का एक माध्यम है

तलवार वितरण का उद्देश्य

संत युवराज जी का मानना है कि तलवार सनातन धर्म में केवल एक हथियार नहीं, बल्कि साहस, शक्ति और धर्म की रक्षा का प्रतीक है। उनके द्वारा तलवारों का वितरण समाज को यह संदेश देता है:

  1. धर्म की रक्षा: प्रत्येक व्यक्ति को धर्म की रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए।
  2. सांस्कृतिक पहचान: तलवार हमारे प्राचीन योद्धा परंपरा का प्रतीक है, जो धर्म और सत्य की रक्षा के लिए सदैव तैयार रहते थे।
  3. धार्मिक पूजा: तलवार को शक्ति और भक्ति का प्रतीक मानते हुए इसे धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा में शामिल किया जाता है।

धार्मिक आयोजन और तलवार वितरण

संत युवराज जी के नेतृत्व में विभिन्न धार्मिक आयोजनों में तलवार वितरण किया जाता है, जैसे:

  • शक्ति पूजा: जहां तलवार को माँ दुर्गा और अन्य देवी-देवताओं की शक्ति का प्रतीक मानकर पूजा की जाती है।
  • धर्म जागरूकता कार्यक्रम: समाज को धर्म और संस्कृति के प्रति जागरूक करने के लिए तलवारों का वितरण किया जाता है।
  • सांस्कृतिक आयोजन: हिंदू योद्धा परंपरा और गौरवशाली इतिहास को याद करने के लिए।

हिंदू सेना सदस्य

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